जॉनी डेप! अंग्रेजी सिनेमा के सफलतम अभिनेताओं में से एक। उनकी संस्कृति में विवाह एक स्त्री और पुरुष के साथ रह सकने का आधिकारिक लाइसेंस भर है, सो उधर के स्त्री पुरुष अनेकों बार करते और तोड़ते रहते हैं। डेप ने भी विवाह किया एम्बर हर्ड से, पर दोनों के बीच मे नहीं बनी। एम्बर ने तलाक मांगा, जॉनी ने चुपचाप दे दिया। और साथ में दिया डेढ़ करोड़ डॉलर की राशि! मतलब लगभग सवा अरब रुपये…
बात यहीं खत्म नहीं हुई। जॉनी से पैसे ले लेने के बाद एम्बर ने उनपर मारपीट के आरोप लगाए। फिर क्या था, एकाएक पूरी दुनिया उनके विरुद्ध हो गयी। किसी ने जॉनी डेप का पक्ष जानना नहीं चाहा! उनको उनकी नई फिल्मों से निकाल दिया गया, पायरेट्स ऑफ कैरेबियन जैसी फ्रेंचाइजी छिन गयी। यह ठीक वैसा ही था जैसे सड़क किनारे खड़े किसी लड़के को कोई स्कूटी सवार लड़की धक्का मार कर गिर जाय तो सारे लफंगे उस लड़के को ही दोषी बताते हुए उसे पीट देते हैं।
जॉनी डेप भी लगभग डूब गए। फिर भी वे चुप रहे… इस तर्क के साथ कि पर्सनल मामले को बाजार में क्यों उछाला जाय! पर एम्बर हर्ड नहीं रुकीं, वे बोलती रहीं। जॉनी पर रोज नए आरोप लगातीं और विश्व भर की सहानुभूति पातीं। जॉनी के लिए अब मुँह छिपाने की भी जगह नहीं बची थी।
फिर एक दिन थक कर जॉनी खुले और अपना पक्ष रखते हुए एम्बर और उनको छापने वाली पत्रिका के ऊपर मानहानि का दावा किया। 50 मिलियन डॉलर का दावा! 50 मिलियन, मतलब केजरीवाल जी की सुपुत्री को जितने की जॉब ऑफर हुई थी, उससे बहुत ही कम धनराशि है। फिर भी… और जब उन्होंने साक्ष्य दिया तो पता चला कि एम्बर भी कम घिनौनी नहीं हैं। उसने जॉनी डेप को कई बार पीटा था, उनकी उंगली तक काट ली थी, उनके बिस्तर पर शौच कर के उसकी तस्वीर उनको भेजती थी। उनके मुँह पर बार बार थूक देती थी… उसके नर्स ने बताया कि वह मानसिक रोगी है, और ऐसा व्यवहार उसकी आदत है।
मैं जॉनी डेप का समर्थन नहीं कर रहा, वे गलत हो सकते हैं। मैं एम्बर का विरोध भी नहीं कर रहा, वे सही भी हो सकती हैं। फिलहाल मामला कोर्ट में है, और हजारों किलोमीटर दूर बैठ कर हम किसी को अच्छा और किसी को बुरा नहीं कह सकते। पर उन लोगों को क्या कहें जो केवल एम्बर की सुन कर जॉनी डेप को पत्नी को पीटने वाला घोषित कर गए और उनके विरुद्ध पूरे विश्व में हल्ला मचा दिया?
किसी भी मुद्दे पर एकतरफा हो जाना विशुद्ध लफंगई है, और दुर्भाग्य यह है कि इस तरह की लफंगई कथित प्रबुद्ध वर्ग ही अधिक करता है। लेखक, अभिनेता, कलाकार, कवि… अपनी बात मनवा लेने के लिए कुछ भी कर देने/कह देने का चलन समाज को बहुत चोट देता है।
सोच कर देखिये, यदि जॉनी डेप निर्दोष सिद्ध हो जांय तो इस घटना को जानने वाला सामान्य वर्ग किसी पीड़ित महिला के साथ भी आसानी से खड़ा हो पायेगा? जिस व्यक्ति ने इस तरह की धूर्तता झेली हो, वह कभी किसी सच्चे पर भी भरोसा कर पायेगा? नहीं। संसार को अभद्रों की अभद्रता से अधिक बौद्धिकों की लफंगई से चोट लगती है।