सुश्री लाल बिंदी जी लगभग एक या डेढ़ वर्ष के पश्चात अचानक से कल इनबॉक्स में आ धमकीं और बोलीं कि यह कमल का फूल क्यों दिखाया जा रहा है G20 सम्मेलन में ।
मैंने कहा कि मोहतरमा , कमल के फूल को आप किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह से न देखकर उसे सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रतीक के रूप में देखिये ।
बोलीं क्या प्रतीक है ? वहीं कींचड़ में कमल वाली लॉजिक ।
मैंने कहा कि नहीं मोहतरमा ! यह असंगता का प्रतीक तो है ही यह कार्य कारण से नहीं बल्कि ईश्वर की इच्छा का भी प्रतीक है ।
लाल बिंदी जी गुर्राने लगीं , बोली अब यह कार्य कारण क्या है ?
मैंने पूछा चिकेन एंड एग की स्टोरी वाला खेल खेली हो ? बोलीं हाँ वहीं न जिसमें पूछते हैं कि अंडा पहले आया या चिकेन ?
मैंने कहा कि हाँ वही । उसे ही कार्य कारण कहते हैं । जैसे तुम कार्य हो और पृथिवी पर गलती से आ गयी हो तो तुम्हारे माता पिता उसके कारण हैं ।
तो कोई डार्बिन या डारविनीकरण की बुद्धि वाला पूछने लगे कि तुम्हारे बाप का बाप , तुम्हारे बाप का कारण , और उसका कारण और फिर उसका कारण करते करते बंदर पर पहुँच जायेंगे और फिर बंदर से पक्षी फिर पक्षी से मछली फिर मछली से अमीबा और फिर चुप हो जायेंगे ।
सनातन हिन्दू धर्म सूक्ष्म अवतार से ( एक कला से ) कृष्णावतार( १६ कला ) का विस्तार मानता है और सृष्टि का हेतु “ कमल “ ।
लाल बिंदी पुनः बिफर गयीं । बोलीं घुमा फिरा कर तुम पुनः कमल पर आ गये ।
मैंने कहा कि हम यह मानते हैं कि सृष्टि की उत्पत्ति श्री हरि नारायण की इच्छा से हुयी है ।
आँख उठाकर उपर देखो , जो नभ दिख रहा है वह श्री हरि नारायण की नाभि है । नभ एव नाभि ।
और उसी नाभि में ब्रह्म कमल 🪷 निकला और उससे मन बुद्धि चित्त अहंकार जिसे हम ब्रह्मा के रूप में जानते हैं ।
अतः कमल ईश्वर इच्छा का प्रतीक है । सनातन हिन्दू धर्म में नारायण की इच्छा का प्रतीक है । और G20 में संपूर्ण विश्व की सनातन हिन्दू धर्म से पहचान करायी जा रही है ।
लाल बिंदी जी सदैव की भाँति बिना बाय साय किये ही निकल लीं ।