सम्भावामि युगे युगे
सम्भवामि युगे युगे… अधर्म जैसे अपने चरम पर पहुँच चुका था। मथुरा में बैठा कंस स्वयं को ईश्वर बताता था, तो उधर मगध नरेश जरासंध भी ईश्वरत्व का दर्प लिए…
सम्भवामि युगे युगे… अधर्म जैसे अपने चरम पर पहुँच चुका था। मथुरा में बैठा कंस स्वयं को ईश्वर बताता था, तो उधर मगध नरेश जरासंध भी ईश्वरत्व का दर्प लिए…
किसी भी समूह की ऊर्जा को बिल्कुल ही गलत दिशा में झोंक देना वामपंथियों का ही काम है, उन्हें मौका मिले तो वे किसी भी देश या सभ्यता का नाश…
It is highly unfortunate that great figures like Bhagat Singh have to suffer because of the petty politics of the day. The India Bhagat Singh knew was very different where…