भारत की एक-दो पीढ़ियाँ तो धर्म से मुख मोड़ते, धर्मनिरपेक्षता का झूठ परोसते गुजरी ही है

चालीस-पैंतालिस या उससे कम आयु वालों के हाथों में भविष्य को थोड़ा सा बदलना तो होता है, कम से कम वो किया जा सकता है। हम “शुगर फ्री पीढ़ी” क्यों…

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