अगर हमें असम्भव सिस्टम चाहिए जिसमें बिजली भी मुफ़्त हो व अस्पताल की मैट्रेस भी गंदी न हो तो असम्भव सिस्टम तो कोई झूठ बोलने वाला नेता ही दे सकता है। अगर हम ये भी नही समझ पाते कि एक झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमारे जीवन को नष्ट कर देगा तो हमारा जीवन नष्ट ही होगा। अब तक होता आया है, आगे भी होगा।
पंजाब की हेल्थ यूनिवर्सिटी के VC डॉक्टर राज बहादुर भारत के ही नही, दुनिया के टॉप स्पाइनल कॉर्ड के डॉक्टर है। उनको अपमानित किया उस मंत्री ने जो स्पाइन व स्पाइनल कॉर्ड में अंतर नही बता पाएगा।
लेकिन पूरी घटना दर्पण है बहुत सारी बीमारियों का। बहुत ही सारी बीमारियों का…
१. प्रथम तो मैट्रेस गंदी क्यूँ थी? वो इसलिए गंदी थी क्यूँकि जैसा मैं पिछले एक दशक से लिखता रहा हूँ, नेता वोट के लिए सरकारी अस्पताल तो खोल देते है, लेकिन अस्पताल के consumables के लिए किसी राज्य सरकार के पैसा नही है। अस्पताल by nature अत्यंत स्वच्छता माँगते है व by nature अस्वच्छ बहुत ही जल्दी होते है। बेड शीट रोज़ बदलनी होती है व मैट्रेस हर कुछ साल बाद। लेकिन पैसे हो तो बदले। पैसे तो मरहम पट्टी के भी नही होते है। अस्पताल का बजट तो मुफ़्त बिजली खा गयी। फिर सफ़ाईकर्मियों की अपनी यूनीयन है वार्ड बॉय की अपनी यूनीयन है नर्सों कि अपनी यूनीयन है। डॉक्टर उन्हें अपना काम करने को कहेंगे तो डॉक्टर का घेराव तो निश्चित है, पिटाई भी हो सकती है। फिर यही मंत्री उसके लिए भी डॉक्टर को ही अपमानित करेगा। हम गंदी मैट्रेस देखते है तो हम भी गाली डॉक्टर को ही देते है क्यूँकि इतनी बुद्धि व नैतिकता तो है नही कि देख सके कि मैट्रेस के पैसे तो हमारे घर में मुफ़्त में AC चला रहे है। फलतः अन्य बीमारी भी लेकर चुपचाप निजी अस्पताल में पैसे फूंकते है व दोनो स्थानो पर डॉक्टर को ही गाली देते है।
२. मंत्री ने डॉक्टर को अपमानित क्यूँ किया? क्यूँकि समाजवाद में सरकार बनाते ही नेता को सब समझ में आ जाता है, कि जो भी वादे किए थे उन्हें पूरा करने के लिए पैसे तो है ही नही। लेकिन चुनाव के लिए पाँच साल बाद फिर जनता के पास जाना है। तो मंत्री क्या करे? मंत्री कुछ करते दिखना चाहता है। तो उसके लिए सॉफ़्ट टार्गट है सरकारी अधिकारी। अनुशासन में बंधे है इसलिए उत्तर नही दे सकते, व फिर भारत में अन्य अवसर भी नही है कि नौकरी गयी तो भूखे नही मरेंगे। इसलिए चुप सहते है, जनता क्यूँकि अधिकारी को उत्तरदायी मानती है, बुद्धि तो है नही कि पूरी समस्या समझ सके, तो ताली पीटती है व फिर उसी ठग को वोट दे आती है।
३. डॉक्टर क्यूँकि अन्य सब अधिकारियों से भिन्न स्तिथि में होते है कमा खा सकते है निजी प्रैक्टिस में भी, इसलिए ऐसी स्तिथि में नौकरी छोड़ देते है, जैसे डॉक्टर राज बहादुर ने छोड़ दी है।
अब? अब पंजाब के लोग उन्ही डॉक्टर राज बहादुर को सौ गुनी फ़ीस देंगे, व सरकारी अस्पताल की अब मैट्रेस ही गंदी नही होगी, कोई डॉक्टर भी नही होगा।
अगर हमें असम्भव सिस्टम चाहिए जिसमें बिजली भी मुफ़्त हो व अस्पताल की मैट्रेस भी गंदी न हो तो असम्भव सिस्टम तो कोई झूठ बोलने वाला नेता ही दे सकता है। अगर हम ये भी नही समझ पाते कि एक झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमारे जीवन को नष्ट कर देगा तो हमारा जीवन नष्ट ही होगा। अब तक होता आया है, आगे भी होगा।