बंगाल का इतिहास और वर्तमान बिल्कुल मेल नही खाता

किसी भी समूह की ऊर्जा को बिल्कुल ही गलत दिशा में झोंक देना वामपंथियों का ही काम है, उन्हें मौका मिले तो वे किसी भी देश या सभ्यता का नाश कर सकते हैं।


बंगाल के क्रांतिकारियों को पढ़ रहा था। बंगाल का इतिहास और वर्तमान बिल्कुल मेल नहीं खाता, बिल्कुल भी नहीं। बंगाली क्रांतिकारी अद्भुत जुनूनी रहे… उनके आगे उत्तर भारत का सशस्त्र आंदोलन कहीं खड़ा नहीं होता।

सोच कर देखिये, उन्नीस-बीस वर्ष के तीन लड़कों विनय-बादल दिनेश ने मिल कर तीन तीन अंग्रेज आईजी को उनके कार्यालय में घुस कर मारा। जिस जज ने दिनेश गुप्ता को फांसी दी, उसे उनके दोस्त कन्हाईलाल भट्टाचार्य ने मार दिया। तीन आईजी को मारना कितना बड़ा काम था, यह समझना कठिन नहीं है। भगत सिंह अपने साथियों के साथ एक एडिशनल एसपी को मारने गए थे, पर भूल वश दरोगा को मार कर आ गए। और इस एक हत्या पर ही पूरा संगठन समाप्त हो गया। पर बंगाली क्रांतिकारी आंदोलन इतनी आसानी से समाप्त नहीं हुआ था।

खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी चीफ प्रेसिडेंटी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को मारने का प्रयास करते हैं, पर संयोग से वह बच जाता है और दो अंग्रेज स्त्रियां मारी जाती हैं। प्रफुल्ल चाकी मोकामा स्टेशन पर गिरफ्तार होने से बचने के लिए स्वयं को गोली मारते हैं, तो उनको पकड़ने का प्रयास करने वाले अधिकारी नन्दलाल बनर्जी को शिरीष पाल और रानन गांगुली मिल कर मार देते हैं।

चिटगांव हथियार लूट के नायक प्रसिद्ध सूर्यसेन को उनके जिस परिचित नेत्रसेन ने पकड़वा दिया था, उस नेत्रसेन को ब्रिटिश अवार्ड पाने से पहले ही किसी क्रांतिकारी ने दाब से काट दिया। पर उस क्रांतिकारी को देखने-जानने के बाद भी नेत्रसेन की पत्नी ने कभी उसका नाम नहीं बताया। उस युग में कोई स्त्री इससे बड़ा बलिदान नहीं दे सकती थी। यह उनकी राष्ट्र के प्रति निष्ठा थी, उनका जुनून था।

ये घटनाएं उदाहरण भर हैं, बंगाल का सशस्त्र संग्राम बहुत लंबा चला है। बंगाल में चले स्वतन्त्रता आंदोलन की कोई कहानी एक घटना पर समाप्त नहीं होती, हर घटना के बाद अनेक घटनाएं जुड़ती जाती हैं। पढ़ कर लगता है जैसे उन दस-बीस वर्षों में अंग्रेज अधिकारी बंगाल में पोस्टिंग लेने से भी घबड़ाते होंगे।

सोचिये! वह बंगाल जो अपने आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा के सबसे अधिक लड़ा है, उसकी आज की दशा का जिम्मेवार कौन है। सभ्य बंगाली समाज को बौंग्स बनाने वाले कौन हैं? तमाम सहमतियों-असहमतियों के बाद भी अंततः आपको मानना होगा कि इसके लिए 30 वर्ष का वामपंथी शासन ही जिम्मेवार है।

देश को अपने नवीन विचार देने वाला बंगाल यदि आज बिहार में डांस-बार और ऑर्केस्ट्रा के लिए लड़की देने वाला और सबसे सस्ते मजदूर देने वाला बंगाल बना है, इसके जिम्मेवार केवल और केवल वही हैं।

किसी भी समूह की ऊर्जा को बिल्कुल ही गलत दिशा में झोंक देना वामपंथियों का ही काम है, उन्हें मौका मिले तो वे किसी भी देश या सभ्यता का नाश कर सकते हैं।