Supertech of NOIDA

  • Post author:
  • Post category:Legal
  • Post last modified:January 16, 2023
  • Reading time:1 mins read

अगर आप सोचते है आप क़ानून का पालन कर रहे है, समय पर टैक्स भर रहे है, आपको क्या अंतर पड़ता है कि कौन सा लुटेरा राजनीतिक ख़ानदान सत्ता में है, इसलिए आपको वोट देने की आवश्यकता नही है, तो समझ जाइए कि अगर कहीं भी लूट का अलाव जल रहा है तो आग एक दिन आपके घर तक अवश्य पहुँचेगी। इसलिए वोट देने अवश्य जाए, व सत्यनिष्ठ व्यक्ति को ही वोट दे।


उच्चतम न्यायालय ने Supertech के NOIDA के दो टावर गिराने का आदेश दिया है। दोनो टावर के लिए सारी पर्मिशन व clearances ली गयी थी। लेकिन टावर सॉसायटी के प्राथमिक प्लान के उल्लंघन में थे। How did we reach here? एक ही वाक्य में कहूँ तो भारत के entrepreneur को शीघ्र ही पाठ पढ़ने को मिल जाता है कि बिना सरकारी अमले को पैसे खिलाए जीना असम्भव है, व फिर शीघ्र ही ये इस arrogance में बदल जाता है कि सरकारी अमले को पैसे खिला कर कुछ भी सम्भव है। ये दो टावर उसी arrogance के परिणाम है। भारत के लगभग सभी सफल उद्यमी सरकारी अमले को पैसे खिलाकर ऊँचाई पर पहुँचे है, व लगभग सभी में ये arrogance देखने को मिलती है: “I can buy anybody.” वास्तव में ये लोग शीघ्र ही उस सरकारी अधिकारी के अतिरिक्त जिसके पास इनकी पास फ़ाइल है, अन्य सभी मनुष्यों को मच्छर के समान treat करना आरम्भ कर देते है। “पैसे खिलाकर कुछ भी सम्भव है,“ उत्तर प्रदेश का गवर्नन्स motto रहा है 1990 से 2017 तक। नॉएडा सबसे बड़ी दुधारु गाय थी इस अवधि में। नियमित रूप से एक गाड़ी लखनऊ जाती थी नॉएडा से, जिसमें नोटो के बोरे होते थे। गाड़ी को लखनऊ तक ग्रीन कॉरिडर मिलता था। इसी चक्कर में Supertech व Jaypee जैसे समूह निपट गए। हुआ यूँ कि ये विश्वास हो गया लूटेरे राजनीतिक ख़ानदानो को व ‘उद्यमीयो’ को कि ये लूटेरे राजनीतिक ख़ानदान ही अब सदैव सत्ता में रहेंगे। बीस प्रतिशत सॉलिड वोट बैंक के वोट है, शेष बीस प्रतिशत अपनी जाति व मुफ़्तख़ोरों के वोट है। सदा के लिए सत्ता पक्की। लेकिन फिर पता नही क्या हुआ कि जो भी शक्ति इस संसार को चलाती है, उसने एक नया पत्ता फेंक दिया: नरेंद्र दामोदरदास मोदी…….. और पूरा खेल ही नही, मैदान ही पलट गया। मोदी किसी भी प्लान में नही था। Design ही पर्मिट नही करता इस बंदे को। ये व्यक्ति कोई Schrodinger’s particle है जो इक्वेज़न का most improbable solution था, लेकिन उत्तर में यही आ गया। और भारत का पूरा लूटीयन शासक वर्ग अब तक stunned भूमि पर चारों खाने चित पड़ा हुआ है। मीडिया बताता नही है। वास्तविकता ये है मोदी ने सारे लोनखोरो की वाट लगा के रखी है। हलक में हाथ डाल कर निकाल रहा है। व सारे ग़ैरक़ानूनी निर्माण ध्वस्त हो रहे है। तो Supertech जी भी लपेटे में आ गए। (उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जिन लोगों ने टावर में फ़्लैट ख़रीदे थे उनके पैसे लौटाए जाएँगे। लेकिन उनका कोई दोष नही था। कोई भी दोष नही था। भारत में law of torts ठीक से विकसित नही है अन्यथा अमेरिका जैसा होता तो उन सभी लोगों को पैसे के अतिरिक्त मानसिक वेदना व कहीं अन्य फ़्लैट लिए होते तो उनका आज का मूल्य, अपने घर में रहने का सुख, इन सबका पैसा मिलता, व फिर कोई बिल्डर कभी ऐसा नही कर पाता।) और हाँ, अगर आप सोचते है आप क़ानून का पालन कर रहे है, समय पर टैक्स भर रहे है, आपको क्या अंतर पड़ता है कि कौन सा लुटेरा राजनीतिक ख़ानदान सत्ता में है, इसलिए आपको वोट देने की आवश्यकता नही है, तो समझ जाइए कि अगर कहीं भी लूट का अलाव जल रहा है तो आग एक दिन आपके घर तक अवश्य पहुँचेगी। इसलिए वोट देने अवश्य जाए, व सत्यनिष्ठ व्यक्ति को ही वोट दे।