लोकतंत्र में नागरिक समाज के संगठनों व उनसे जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं की महती भूमिका होती है । ये संगठन व इनके कार्यकर्ता सरकारों के कार्यों पर अपनी पैनी नज़र बनाए रखते हैं और यह देखते हैं कि सरकार व उससे जुड़ी संस्थाएँ कोई भी जन विरोधी कार्य न करें अथवा तानाशाह न बन जाएँ। अब सैद्धान्तिक रूप से तो ऐसे संगठनों की यही भूमिका होती है । हालाँकि एक बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जो एक्टिविज्म के नाम पर अपना और अपने आकाओं का एजेंडा चलाता है । मानवाधिकार व लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के नाम पर करोड़ों अरबों रुपयों की हेरा फेरी और बड़े बड़े उद्योगपतियों के निजी हितों को बढ़ावा देना ही इस तबके का एकमात्र उद्देश्य होता है । ऐसी ही एक कथित सामाजिक कार्यकर्ता हैं सुनीता विश्वनाथ ।
कौन हैं और चर्चा में क्यों हैं सुनीता विश्वनाथ ?
सुनीता विश्वनाथ अमरीकी भारतीय मूल्य की एक कथित सामाजिक कार्यकर्ता हैं । ‘हिन्दू फ़ॉर ह्यूमन राइट्स’ की वे सह संस्थापक हैं और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल जैसे कट्टरपंथी संगठनों से भी उनका गहरा जुड़ाव रहा है । सुनीता विश्वनाथ हिन्दू धर्म व भारत के प्रति अपने कुंठित विचारों के लिए भी जानी जाती हैं । महादेव की चिलम पीती हुई तस्वीर साझा कर आपत्तिजनक टिपणियां करना हो या अपने वक्तव्यों व लेखों में हिन्दू धर्म व उसके अनुयायियों के खिलाफ बयान देना हो , करन थापर के साथ एक वार्ता में तो उन्हीने हिंदुओं से हिंदुत्व के खिलाफ खड़े होने का आह्वान तक कर दिया था । बहरहाल सुनीता विश्वनाथ इन दिनों चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है जिसमें वे काँग्रेस नेता राहुल गाँधी के बगल में बैठी नज़र आ रही हैं । बात दें कि काँग्रेस नेता राहुल गाँधी इन दिनों अपनी अमरीका यात्रा पर हैं जहाँ वे अलग अलग कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं । ऐसे ही कार्यक्रम में जहाँ राहुल गाँधी थिंक टैंक्स से जुड़े लोगों से वार्ता कर रहे थे वहाँ उनके बगल में सुनीता भी बैठी हुईं थीं । इस तस्वीर के सामने आने के बाद से ही लोग राहुल गाँधी और काँग्रेस के भारत विरोधी ताकतों से संबंधों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं । भाजपा आईटी सेल इंचार्ज अमित मालवीय ने ट्वीट कर राहुल गाँधी की आलोचना की । उन्हीने लिखा कि राहुल जिन सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं वो इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कॉउन्सिल से जुड़ी हुई हैं , अमित मालवीय ने ये दावा किया है कि इस संस्था का संबंध पश्चिम में जमात-आईएसआई नेक्सस से है । यही नहीं अमित ने ये भी दावा की की सुनीता एक अन्य संगठन वीमेन फ़ॉर अफ़ग़ान वीमेन से जुड़ी हुई हैं जिसे जॉर्ज सोरोस की संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशन अनुदान प्रदान करती है ।
कौन हैं जॉर्ज सोरोस ?
जॉर्ज सोरोस एक अमरीकी उद्योगपति हैं जिन्होंने बीते दिनों मोदी सरकार की अडानी मुद्दे पर आलोचना की थी । पूर्व में भी वो ऐसा करते रहे हैं । सोरोस के समर्थक उन्हें उदारवाद का मसीहा मानते हैं , सोरोस कथित तौर पर अपनी संस्था ओपन सोइटीज़ फाउंडेशन द्वारा ऐसी संस्थाओं और समूहों को अनुदान भी देते हैं जो कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने का काम करते हैं । हालाँकि उनके इन दावे पर भी बहुत सी असहमतियाँ लोगों में हैं । गौरतलब है कि जब सोरोस ने अडानी मामले को लेकर सरकार की आलोचना की ठीक उसी समय काँग्रेस नेता राहुल गाँधी भी इसी मामले को लेकर सरकार पर हमलावर थे । इसे लेकर सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस वार्ता में गहरे संदेह भी व्यक्त किये थे । उन्होंने नाम न लेते हुए कहा भी था कि सबको पता है सोरोस किन्हें फंडिंग करते हैं । सोरोस का विवादों से पुराना नाता रहा है , मसलन उन्हें इंगलैंड में ‘बैंक ऑफ इंगलैंड को तोड़ने वाले व्यक्ति’ के रूप में जाना जाता है । उन्होंने 1992 के दौर में पाउंड उधार लिए और फिर उन्हें बेच दिया, जिससे मुद्रा बाजारों में स्टर्लिंग की कीमत गिर गई । इसके अलावा सोरोस को अकसर प्रदर्शनों से जोड़कर भी देखा जाता रहा है , उनके आलोचकों का मानना है कि उन्हें जिस सरकार में भी मन चाहा हस्तक्षेप नहीं मिलता उसके विरुद्ध अपनी संस्था ओपन सोसाइटीज़ फाउंडेशन द्वारा पोषित संस्थाओं के माध्यम से वे विरोध प्रदर्शनों को प्रेरित करते हैं । वर्ष 2020 में तबके अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोरोस पर कुछ ऐसे ही आरोप लगाए थे ।
अमित मालवीय ने अपने आरोपों के लिए DisInfo Lab नामक एक एजेंसी के दावों का सहारा लिया है जिनकी जांच में ये निकल कर आया कि सुनीता विश्वनाथ की संस्था हिन्दू फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने Hindu vs Hindutva और Dismantaling Global Hindutva जैसे प्रोपोगंडा फैलाए । अब यहाँ अगर गौर करें तो ध्यान पड़ता है कि काँग्रेस नेता राहुल गाँधी भी एक समय Hindutva व Hinduism में अंतर देश को समझाने में लगे हुए थे । अब इसकी प्रेरणा उन्हें कहाँ से मिली ये वही जानते हैं । इस संस्था की ये जाँच सुनीता की संस्था के इस्लामपंथी संगठनों से जुड़ाव की भी बात करती है ।